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सुतल छलहुँ पिया अहींके पलंगिया हे / मैथिली लोकगीत
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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सुतल छलहुँ पिया अहींके पलंगिया हे
पिया हे रातिये वृन्दावन भेलै चोरी, तिलड़िया भोर हेराइए गेलै हे
सुतल छलहुँ धनि अहींके पलंग पर हे
रातिये पलंग पर भेलै चोरी, बसुलिया मोर हेराइए गेलै हे
कय दियौ आहे सासु झगड़ा फरिछौट, सासु अपना बालक के हे
कहि दिऔन तिलड़िया गेलै हेराय, वृन्दावन चोरी भेलै हे
दय दियौ आहे बेटा पित्तरि तिलड़िया, बेटा पित्तरि तिलड़िया हे
बेटा हे तिलड़ि ने बसै वृन्दावन, तिलड़िया साढ़े तीन सौ के हे
दय दियौ आहे धनी बसुलिया हे, बांस के बसुरिया हे
धनी बसुरी ने बसै गोपीचन्द, बसुरिया साढ़े सात सौ के हे