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सुधि बिसरै लेहॅ जब से गेलहेॅ / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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सुधि बिसरै लेहॅ जब सें गेलेहॅ कारण की बतलाबेॅ नीं
कटियो टा नैं मौॅन लगैछै, अबी के बहलाबे नीं?
पृथ्वी, पानी आरो पवन सें
कत्ते बेर पूछलियै जी।
आगिन अम्बर कुछ नै बोलै
कत्ते बेर कहलियै जी।
पता ठिकानों कोय नैं दैछै तोहीं लिखी पठाबेॅ नीं।
जब सें गेलेहेॅ सुधि बिसरैलेहॅ कारण की बतलाव नीं?
उषा भाल पर शोभित सूरज
तोरे विन्दिया लागै छै।
खगकुल केॅ मिसरी सन कलरव
तोरे बोलिया लागै छै।
हवा झुलाबै फूल बाँह में हमरा तहूँ झुलाबॅ नीं।
जब सें गेलेहेॅ सुधि बिसरैलेहॅे कारण की बतलाव नीं?
चिड़ियाँ चुनमुन लौट घोसला
हँसी खुशी में चहकै छै।
लोरी गाबै बड़ी भगन सें
भुटका भुटकी झपके छै।
गीत सुनैलेॅ नूनू कपसै की कहियै समझाबॅनीं?
जब सें गेलेहेॅ सुधि बिसरैलेहॅ कारण की बतलावनीं?

25/04/15 सुप्रभात चार बीस