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सुनते ही शिशु का रुदन / रामगोपाल 'रुद्र'
Kavita Kosh से
सुनते ही शिशु का रुदन, प्रसू की छाती में
लगता है दूध उमड़ने, ममता के मारे;
मेरे ये आत्मनिवेदन के निश्छन्द छन्द
सुनते ही तेरा प्यार उमड़ आए प्यार!