सुनहरे बालों की ख़ातिर / निकअलाय असेयेफ़ / वरयाम सिंह
तुम्हारे सुनहले बालों की ताक़त के लिए नहीं
न उनके इतना अच्छा होने की ख़ातिर
एक बार में ही हृदय
पूरी तरह अलग हो गया दूसरों से ।
अमिट बनी रही तुम्हारी याद
बहुत बरस पहले तुमने
बिना डाँट, बिना शोर
झाँका था मेरी आँखों में ।
पहले से अधिक मृदुता और निकटता से
प्यार करता हूँ तुम्हें, सिर्फ़ तुम्हें
जिसने बताया नाम — ओक्साना
और चली गई बहार की राह से हवाओं के बीच ।
मेरे साथ चली आई कष्ट झेलती
दिनों को ख़ुशियों से भरती
उन वर्षों में जब बर्फ़ीले तूफ़ान ने
बर्फ़ का बोझ लाद दिया था हमारे कन्धों पर ।
उस प्रदेश में जहाँ बहती हैं ठण्डी हवाएँ
दूर उड़ जाते हैं होठों से गीत,
मदहोश जहाँ प्यार करना सम्भव नहीं
सम्भव नहीं गीत गाना तुम्हारे बारे में ।
जहाँ कॉलर से पकड़ती हैं बहार
थकाती है अवसाद से
लेटना चाहती हैं ज़मीन पर
मेपल और झाड़ियों के पास ।
नहीं, यह तुम्हारे बालों की ताक़त नहीं थी,
न ही उनके इतना अच्छा होने ने चाहा था
बल्कि यह आदेश था तुम्हारा उस सबके लिए
जो ध्वनित होता रहा मेरी एक एक पंक्ति में ।
1926
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Николай Асеев
Не за силу, не за качество
Не за силу, не за качество
золотых твоих волос
сердце враз однажды начисто
от других оторвалось.
Я тебя запомнил докрепка,
ту, что много лет назад
без упрека и без окрика
загляделась мне в глаза.
Я люблю тебя, ту самую, —
все нежней и все тесней, —
что, назвавшись мне Оксаною,
шла ветрами по весне.
Ту, что шла со мной и мучилась,
шла и радовалась дням
в те года, как вьюга вьючила
груз снегов на плечи нам.
В том краю, где сизой заметью
песня с губ летит, скользя,
где нельзя любить без памяти
и запеть о том нельзя.
Где весна, схватившись за ворот,
от тоски такой устав,
хочет в землю лечь у явора,
у ракитова куста.
Нет, не сила и не качество
молодых твоих волос,
ты — всему была заказчица,
что в строке отозвалось.
1926 г.