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सुनो, सुनो, वेताल सुनो / पंख बिखरे रेत पर / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
राजा का सिंहासन टूटा
सुनो, सुनो, वेताल सुनो
दरबारी पत्थर की मूरत
जादू के हैं खेल
परजा के
शाही महलों से
रिश्ते हैं बेमेल
नंदन-वन का किस्सा झूठा
सुनो, सुनो, वेताल सुनो
काँचघरों की चौहद्दी में
कैद हुए सूरज
जश्न धूप के ज़िंदा कैसे
यही बड़ा अचरज
हुआ आग चंदन का मूठा
सुनो, सुनो, वेताल सुनो
सपनों के सौदागर लाये
पुतली चाँदी की
रानी ने मरजादा खोयी
चलती बाँदी की
शहजादे के सर पर खूँटा
सुनो, सुनो, वेताल सुनो