सुन्दर बाग़ों वाला गाँव / महेश कटारे सुगम
नदी किनारे बसा हुआ है,
सुन्दर बाग़ों वाला गाँव।
बेला, जुही, चमेली जैसे,
फूल-परागों वाला गाँव।
सुबह-शाम पेड़ों के ऊपर
रोज़ लगता है मेला-सा।
तोता, मैना, कोयल, बुलबुल,
काले कागों वाला गाँव।
सबको ही अपनी गोदी में
लाड़-प्यार से है रखता।
बिच्छू, काँतर, गोह, ततैया,
काले नागों वाला गाँव।
बीन, नगाड़े, ढोलक, झाँझे,
रमतूला की तानों पर।
क़िस्म-क़िस्म की तान छेड़ता
बिरहा फागों वाला गाँव।
सुन्दर मौसम, हवा सुहानी,
शान्ति - सुखों का मालिक है।
सभी दिशाओं में फैला है
कई-कई भागों वाला गाँव।
हिन्दू - मुस्लिम - सिख - ईसाई
रहते हैं सब हिल-मिलकर।
क्रिसमस, ईद, और राखी के
सुन्दर धागों वाला गाँव।
नदी किनारे बसा हुआ है,
सुन्दर बाग़ों वाला गाँव।
बेला, जुही, चमेली जैसे,
फूल-परागों वाला गाँव।