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सुन्नर नगर अवधपुर, औरो अवधपुर रे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दशरथ को पुत्री की प्राप्ति हुई है। पंडित ग्रह, नक्षत्र आदि की गणना के लिए बुलाये गये हैं। पंडित ने रामचंद्र की राशि-गणना करके शुभसूचक बातों को बतलाते हुए यह भी कहा कि बारह वर्ष के होने पर इन्हें वनवास होगा। दशरथ इसे सुनकर मूर्च्छित हो जाते हैं। लेकिन, कौशल्या कहती है कि मेरे राम जीवित रहें, यही मेरी कामना है। कौशल्या को सबसे बड़ी खुशी इस बात की भी है कि उसका बंध्यापन छूट गया।

सुन्नर नगर अवधपुर, औरो अवधपुर रे।
ललना, जनमल राम नरायन, भरथ सतरुहन रे॥1॥
आबहु पुरोहित पंडित, पतरा सहित लिये रे।
ललना, गुनि दिय<ref>गणना कर दीजिए</ref> होरिला के रासी, कि केहन लछन<ref>लक्षण</ref> छैन रे॥2॥
नवमी नछऽतर बाबू जनमल, रामचंदर नाम छिक रे।
ललना रे बारह बरिस के होयत, त बन खँड जायत रे॥3॥
एतना बचन सुनल राजा दसरथ, खँसल<ref>गिर गये</ref> मुरछि कै रे।
ललना रे, ठोकि देल बजर केबाड़, कि अब नहीं जीयब रे॥4॥
एतना वचन सुनली रानी कोसिलेआ, मन हरसित भेल रे।
ललना, जीबह राम कतहु जाय, बाँझिन पद छूटल रे॥5॥

शब्दार्थ
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