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सुन ऐ बहार-ए-हुस्न / आनंद बख़्शी

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सुन ऐ बहार-ए-हुस्न मुझे तुमसे प्यार है
हाँ हाँ ज़रूर होगा मुझे ऐतबार है
तुम बेक़रार हो तो मुझे कब क़रार है
हाँ हाँ ज़रूर होगा मुझे ऐतबार है

मैं क्या कहूँ सनम जो मेरे दिल का हाल है
दिन रात मैं हूँ और तुम्हारा ख़याल है
तुम दूर जब नही हो तो मै बेक़रार हूँ
तुम पास जब नही तो मुझे इन्तज़ार है
हाँ हाँ ज़रूर होगा मुझे ऐतबार है

तुम दर्द दो अगर तो उसे मैं दवा कहूँ
मैं जो हूँ वो तुम्हारी ज़फ़ा को वफ़ा कहूँ
देखो गले लगा लो मुझे तुमको शुक्रिया
दिल तोड़ दो तो ये भी तुम्हे इख़्तियार है