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सुन लो तुम ध्यान से जिठानी / बुन्देली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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सुन लो तुम ध्यान से जिठानी,
हमई रोज भरवीं न पानी
हींसा बटाने खों सब कोई बराबर
करवे खों काम देवरानी। हमई...
संझली ओ मंझली खों नई-नई धुतियाँ
पेहरत हों मैं तो पुरानी
हमई रोज भरवीं ना पानी। सुन...
सास-ससुर इनसे तनकऊ न बोलें
हमखों कहत मनमानी,
हमई रोज भरवीं ना पानी। सुन...
खावे खों बैठूं मैं सबसे पछारे,
तोऊ पे करें निगरानी
हमई रोज भरवीं ना पानी। सुन...
आई बहिन मोरी चारई दिना खों,
तनकऊ न कोऊं खों सुहानी
हमई रोज भरवीं ना पानी। सुन...