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सुबह का गीत / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
ठंडी-ठंडी हवा चली है
खुशबू बिखरी गली-गली है,
लगता जैसे प्याला भर-भर
पिला रही सबको ठंडाई।
सुबह हुई है, जागो भाई!
मंदिर में पूजा की घंटी
पुस्तक लेकर बैठा बंटी,
‘दूध-दूध’ की सुनी पुकार
बरतन लेकर दौड़ीं ताई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
होमवर्क छुटकू का होना
छुटकी का भी रोना-धोना,
दादा जी छज्जे से बोले-
चाय अभी तक नहीं बनाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
इतने में आया अखबार
लेकर खबरों का संसार,
पापा बोले-बुरी खबर है
पर जीतेगी सदा भलाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
जल्दी उठकर जरा नहा लो
मल-मल सारी मैल बहा लो,
जो लिहाफ ओढ़े सोते हैं
आएगी कल उन्हें रुलाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!