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सुबू को दौर में लाओ बहार के दिन हैं / अब्दुल हमीद 'अदम'
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सुबू को दौर में लाओ बहार के दिन हैं
हमें शराब पिलाओ बहार के दिन हैं
ये काम आईन-ए-इबादत है मौसम-ए-गुल में
हमें गले से लगओ बहार के दिन हैं
ठहर ठहर के न बरसो उमड़ पड़ो यक दम
सितमगरी से घटाओ बहार के दिन हैं
शिकस्ता-ए-तौबा का कब ऐसा आयेगा मौसम
'अदम' को घेर के लाओ बहार के दिन हैं