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सुभ लगन जी सुभ लगना जी, नद क पोता भए, सुभ लगना जी / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
इस गीत में नंदजी को शुभ-लग्न में पोता पैदा होने और खुशी में बच्चे के माता-पिता द्वारा अन्न-धन लुटाने का उल्लेख हुआ है।
सुभ लगन जी सुभ लगना जी, नंद क पोता भए, सुभ लगना जी॥1॥
कौने लुटाबै पाट पाटंबर, कौने लुटाबै हथकँगना जी।
बाबू नंद क पोता भए सुभ लगना जी॥2॥
बाबा लुटाबै पाट पाटंबर, अम्मा लुटाबै हथकँगना जी।
बाबू नंद क पोता भए, सुभ लगना जी॥3॥
शब्दार्थ
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