भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुरताल / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
समझ
थी भी कहाँ सुरताल की।
मैंने तो मिला लिया था
स्वरों में स्वर
यूँ ही।
यूँ ही
गाता रहा पगडंडियों से खेतों तक
खेतों से
खलिहानों तक।
बस गाता रहा
आकाश, धरती, सब कुछ
कहाँ मालूम था मुझे
संगीत
यूं बन जाता है आदमी।