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सुलेखा जी का शृंगार / शुभम श्री

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आठो अंग बारहो अभरण
छमछम चूड़ी झमझम पायल
लट छिलकी, लिपिस्टिक लाल
जरी के काम की समीज सलवार
सुलेखा जी विभाग में प्रवेश करती हैं
धक् से रह जाता है रामसरोज का हृदय
भ्रातृभाव से भर उठते हैं अन्नू भैया
(पिछले हफ़्ते प्रेमपत्र अस्वीकार होने पर भैया हुए हैं)
चातक हो रहा है बजरंगी
विकल हैं रमेस सुरेस राकेस
पानी ला रहा है दिनेस
नोट्स लिख रहा है तरुनेस
समोसा खा रही मुग्धा नायिका सुलेखा सुकुमारी
चला रही है भावी सुकुलों पर कटारी