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सुवाल / राजूराम बिजारणियां

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आस री कूख
पळयो सुपनो
ऊगती पांख्यां
उतरतो आंख्यां!

ढळणो चावै मूंडै
घुळतां-घुळतां
रळणो चावै
रसना रै रस।

चावै कूदणो
होठां थळगट
बोल बण‘र...

पूगणो है
हिवड़ै सूं हिवड़ां
मिटावणै सारू काळख।

सुवाल
मायड़ रै माण रो है!