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सूखना / मुदित श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
इतना रो लेना
कि तुम्हारे फूटने से
बनाई जा सके एक नदी
एक पहाड़ के
फूट-फूट कर रोने से ही
बनीं होंगीं नदियाँ
आंसुओं के सूख जाने पर
बनें होंगें रेगिस्तान
इतना मत सूखना
कि फूटने पर
एक भी धार न निकले