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सूख गईं वो नदियाँ क्यों? / अंकिता जैन
Kavita Kosh से
नदियाँ, जो सूख गईं सदा के लिए
वे इसलिए नहीं
कि गर्मी लील गई उन्हें
बल्कि इसलिए
कि हो गया उनका मोह भंग
बहाव से
कि क्या करेंगी बहकर
उस गंदगी के साथ जो रास्ते में बैठी है
धाक जमाए
पैर फैलाए
जो लील जाती है उनकी निर्मलता
उनका पाक शुद्ध चरित्र
और उनकी कोमलता भी
जो बना देती है उनको दूषित
कसैला और कड़वा
वो नहीं जीना चाहती जीवन
मैली होकर
बस इसलिए
डूब गई हैं विरक्ति में
और सूख गई हैं उस मोह में
जो है उन्हें, अपने सच्चे अस्तित्व से,
क्या कोई फ़र्क है?
इन नदियों और उन स्त्रियों में
जो अपने अस्तित्व के मोह में
चुन लेती हैं विरक्ति
या आत्म-मुक्ति॥