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सूनापन जाए तो सोऊँ / ताराप्रकाश जोशी
Kavita Kosh से
सूनापन जाए तो सोऊँ !
यह बैठा है, कैसे बोलूँ
अपना बिस्तर कैसे खोलूँ
यह उलझन जाए तो सोऊँ !
यह जब से आया, गुमसुम है
इसका मौन बड़ा निर्मम है
दुखता दिन जाए तो सोऊँ !
यह मुझसे मिलता - जुलता है
छाया - सा हिलता - डुलता है
अपनापन आए तो सोऊँ !