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सूनी पडी चपैड़ गाम की / दिनेश शर्मा

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सूनी पडी चपैड़ गाम की
बदल्या हरयाणे का रंग
सुख-दुःख कोय पूछै कोन्या
हर माणस का बदल्या ढंग
सूनी पडी चपैड

एक बख़्त था माणस नै
माणस लाग्या करदा प्यारा
कितना सोहणा लाग्या करदा
पनघट पै पड़दा लारा
दिखदा कोनी भरे गाम म्है
इब माणस-माणस के संग
सूनी पडी चपैड

देख कै भाई नै भाई
इब राजी कोन्या आड़ै
रही समाई मन म्है कोन्या
घर भाई-चारा जाड़ै
चाकू-कट्टे मिलैं जेब म्है
लाल होया धरती का अंग
सूनी पडी चपैड

सब वोटां का खेल बण्या
घर-घर पार्टी न्यारी
सारे नेता बणे फिरैं
पर नहीं कोए न्याकारी
कोए सच की गेल नहीं
इब झूठ की चढ़ी पतंग
सूनी पडी चपैड
 
छोरे की चाहना करकै
गर्भ म्है छोरी मरवाई
गट्टे भड्याँदे फिरै कंवारे
नहीं दिखै कोए राह भाई
फेर सांझ नै आवैं उलाहने
रह्या चाल ज़माना बेढ़ंग
सूनी पडी चपैड

मात-पिता की इज़्ज़त कोन्या
अनपढ़ धी-पूत बतावैं
अंख्याँ म्है इब रही शरम ना
लिख्या-पढ्या कवावैं
समझ ना आता के चावैं सैं
हो रह्या देख-देख मैं दंग
सूनी पडी चपैड