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सूरज और मेमना / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
घास का भूखा
घास जानता है, मेमना
सूरज नहीं जानता
बेघास की ऊँचाई
नहीं जानता मेमना
सूरज
सफेद दाग है
मेमने के लिए
न आग है
न प्रकाश
मेमने के लिए
रचनाकाल: ०३-०४-१९७०