सूरज के चक्कर में आकर सब लोग
भूले फिरते हैं अपना घर सब लोग
सहमे सहमे अंधियारे पूछें है
आखिर क्यों फिरते हैं दर दर सब लोग।
सूरज के चक्कर में आकर सब लोग
भूले फिरते हैं अपना घर सब लोग
सहमे सहमे अंधियारे पूछें है
आखिर क्यों फिरते हैं दर दर सब लोग।