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सूरज दड़ी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
भोर छोरी
रमै दड़ी
बा दड़ी
उछळ’र
अगूण आंगणै पड़ी
खड़ी-खड़ी
देखै छोरी
गुड़कै दड़ी
अर
गुड़क्यां ई जावै
होळै-होळै
आथूण ढाळ कानी……