सूरज भी बँधा होगा देखो मेरे बाजू में
इस चाँद को भी रखना सोने के तराजू में
अब हमसे शराफ़त की उम्मीद न कर दुनिया
पानी नहीं मिल सकता तपती हुई बालू में
तारीक समन्दर के सीने में गुहर ढूँढो
जुगनू भी चमकते हैं बरसात के आँसू में
दिलदारो सनम झूटे सब दैरो-हरम छूटे
हम आ ही गए आख़िर दुनिया तेरे जादू में
ख़ाबीदा गुलाबों पर ये ओस बिछी कैसे
एहसास चमकता है उस्लूब की ख़ुशबू में
(१९९०)