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सूरज / कन्हैया लाल सेठिया

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ले ज्यावै
बगत
दिन ढळ्यां
आपरै घरां
अंधेरै री
छिदी बणगट री
बोरी में
घाल‘र
तारां रा कणुका,
पीस‘र
बां नै
अगूण री चाकी में
घर धिराणी ऊषा
रोज बणा देवै सूरज रो
तातो रोटियो