भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूरज / देसाकू इकेदा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: देसाकू इकेदा  » सूरज

असाधारण पर फिर भी साधारण,
एक दिन भी नहीं
भूले अपने पथ पर गमन !
हमारी गति 'कौसान रफू' की ओर
आधारित इस सिद्धांत पर -
'विश्वास प्रतिबिंबित होता देनिक जीवन में'
भी हो ऐसी ही !
प्रकाश और सर्वव्यापी शक्ति सूर्य की
है निःसीम, असीम, भव्य !
सूर्य मूलभूत शक्ति है जो पालती-पोसती है सब को,
बिना इस ऊर्जा के पादप, जंतु और मानव
जी नहीं सकते एक दिन.
जनक सब प्राणियों का
सूर्य निहारता है
दयाद्र मनुष्य के तुच्छ विवाद और द्वन्द.
और फिर भी आलिंगन करता सबका
प्रतीक्षा रत समय का,सृजन करता समय का,
गहनता से करता जाता अपने पथ पर गमन

अनुवादक: मंजुला सक्सेना