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सूर्यरथ के थके घोड़े / हम खड़े एकांत में / कुमार रवींद्र
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राजपथ पर
गये बाँधे
सूर्यरथ के नये घोड़े
जा न पाए वे गली में
जहाँ बरसों से अँधेरा
कल मुनादी हुई -
पहुँचेगा वहाँ भी कल सबेरा
तेल जिनमें
नेह का था
दिये वे हैं बचे थोड़े
संग्रहालय में रखा है
रामजी का शौर्य-रथ भी
घुप कुहासे में घिरा है
राघवों का सत्य-पथ भी
जो समय को
साधते थे
वे नियम सब गये तोड़े
धूप-बिन नदियाँ विषैली
खेत-घर हो गये बंजर
सिया फिर धरती समाईं
औ’ अहल्या हुई पत्थर
जो रहे थे
आन युग की
वे विरुद भी गये छोड़े