भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूर्य और तारे चंदा / शम्भु बादल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुबह-सुबह
सूर्य ने
तारों को
चंदा को
उजाले के कमरे में
बन्द किया

शाम बीतते ही
तारों ने
चंदा ने
दरवाज़े तोड़
मुक्ति की साँस ले
सूर्य को फाँस लिया
अँधेरे और
चाँदनी के
कमरे में
क़ैद किया