Last modified on 23 जून 2022, at 00:29

सूर्य चंद्र शुभ तारा तुम / प्रेमलता त्रिपाठी

जय हिंद; हिंद की सेना जय, हो बहती नदियाँ धारा तुम।
जम जाती घाटी बरफानी, हो शीत द्वंद्व में पारा तुम।

जय जन्मभूमि भारत तुमसे, नाता जैसे जनमों का यह
झेलम चिनाब की लहरें तुम, तेजस मिराज घन-कारा तुम

विश्वास आस है सुख दुख में, हो अपनी खुशियों के भारत
तुम अटल शक्ति के नायक हो, नभ सूर्य चंद्र शुभ तारा तुम

खिलते शैशव बचपन वय से, है कुसुमित पुलकित नंदन वन,
पलती श्वांसे अहसासों में, हो अभिसिंचित इकतारा तुम

कण कण में बिखरी आभा से, नव गीत मीत खिलता आँगन,
प्रेम पुनीत सुवासित होकर, गुंजित निनाद जयकारा तुम