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सृजन के गीत / किरण मिश्रा

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मैंने आवाज दी वसन्त को
जंगली हवाएँ क्यों आईं
घोटना चाहती है मेरे गीत
कुछ प्रेम के गीत कुछ शान्ति के गीत,
गीत कुछ सृजन के

गीत जो मेरी पहचान है
ले जाना चाहती है उन्हें उड़ा कर
बन्द करना चाहती हैं उन्हें गुफा में
लगा देंगी चट्टान का ताला
गीत फिर भी गूंजेगे
क्योंकि उनमे बसे है
नौ स्त्रियों के सातों सुर