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सृजन / शशि पाधा

Kavita Kosh से
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जब रिमझिम हो बरसात
और भीगें डाल और पात
जब तितली रंग ले अंग
और फूल खिलें सतरंग

     जब कण -कण महके प्रीत
         तब शब्द रचेंगे गीत
 
जब नभ पे हँसता चाँद
और तारे भरते माँग
जब पवन चले पुरवाई
हर दिशा सजे अरूणाई

          जब मन छेड़े संगीत
               तब शब्द लिखेंगे गीत

जब पंछी करें किलोल
लहरों में उठे हिलोल
जब धरती अम्बर झूमें
और भंवरे कलिका चूमें

               जब बन्धन की हो रीत
                   तब शब्द बुनेंगे गीत

जब कोकिल मिश्री घोले
पपिहरा पिहु-पिहु बोले
कोई वासंती पाहुन आये
नयनों से नेह बरसाये

               जब संग चले मनमीत
                       तब शब्द बनेंगे गीत