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सेबरी दुसाधिन बइठी करेली सगुनवाँ मोरा घरे / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
सेबरी दुसाधिन बइठी करेली सगुनवाँ मोरा घरे।
अइहें रामजी पहूनवाँ, मोरा घरे।
जटा से बहारी सबरी आसन बनावेली बइठी जाहू ना,
मोरा राम जी पहुनवाँ से बइठी जाहू ना।
आउ-आउ राम जी बइठु कूस के चटइयां से खाई लेहू ना,
मोरा मीठी रे बइरिया से खाई लेहू ना,
धन धन भाग अइलें राम जी पहुनवाँ से गोरवा धोई ना,
सेवा करब हम चरनियाँ से गोरवा धोई ना।
माटी के टुइयाँ में गंगाजल पनिया से पी रे लेहू ना
मोरा राम जी पहुनवाँ से पी रे लेहू ना।
अँचरा डोलाई सेवरी रामजी के रिझवली से भगति के बस में ना।
भइलें रामजी मगनवाँ भगति के बसमें ना।
कहत महेन्द्र प्रभु जी असरन सरनवाँ से दरसनवाँ दे दीं ना।
हमके राम जी पहुनवाँ से दरसनवाँ दे दीं ना।