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सेवा / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
ऊ सूर्य छेकै
वें ठीके करलकै
आलोचना नै करलकै
अंधेरा के
अपनोॅ घरोॅ में बैठी केॅ
बलुक
ऊ प्रवेश करी गेलै
ओकरोॅ जिंदगी में ही
आरो
अंधेरा के
कायाकल्प होय गेलै।