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से अग्नि के कुण्डमे हौ राजा / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

से अग्नि के कुण्डमे हौ राजा
देने छेलै मलिनियाँ के
अग्नि कुण्डमे दादा
देने छेलै मलिनियाँ के
आब भगति आइ करैलय
आब भगति आइ करैलय
मलिनियाँ सब
अग्नि तऽ कुण्डवामे
आ भगति करैछै मलिनियाँ सब
अग्नि तऽ कुण्डवामे नै हौ।
से बड़-बड़ भगति मोरंगमे जे केलीयै
शनि रवि पवनी बरत टेकलियै
एकादशी हरि बातो केलियै
नीक जल तुलसी ढ़ारलियै
नीक जल तुलसी ढ़ारलियै
शनि रवि अठवारे केलियै
आठो महीना गंगा नहेलियै
गंगामे एकटंगा देलीयै
पूरूब राज पूरनियाँ गेलीयै
जड़ि माटि कोशिकामे देलीयै
कोशिका माय के साखी रखलियै
हाथी चढ़ि कऽ गौड़ पूजलीयै
दीनानाथ के सुमिरन केलियै
खोंपा छतौना मोरंगीया बन्हलीयै
झरि पोंछ-कोंचा कोचामे झारली
मखमल चोलीया गातऽ लगौलीयै
जेना-जेना मन हेतै
तेना-तेना करबै
सवामी अऔतै पलंग पर बैसीतै
ओह सभ सारि स्वामी संग खेलबै
आब मन के ममोलबा गै बहिना
मोरंगमे बीता लेबै
आ मन के ममोलबा बहिना
आ मोरंगेमे बीता लेबै गय।
गै रामजोड़ी बहिना
तइयो ने बेइमनमा दुसधवा गै
दरशनमा देलकै
तइयो ने बेइमनमा
दरशन तऽ देलकै गै