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सॉनेटः स्वरूप और इतिहास / विनीत मोहन औदिच्य

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मूलतः सॉनेट, चौदह पंक्तियों की एक संक्षिप्त रहस्यमयी कविता है जिसमें एक भाव या विचार का क्रमशः प्राकट्य, पल्लवन,रहस्य के साथ समापन हो तथा जिसमें तुकांत के साथ लयबद्धता, माधुर्य व गेयता भी हो। इस काव्यिक विधा में काल, विषयवस्तु का तत्त्व, उपयुक्त बिंब, रूपक एवं रूपकल्प का रहना अत्यंत आवश्यक है। सौंदर्य इसका अलंकार तथा आभूषण है।

"सॉनेट" की व्युत्पत्ति इटैलियन भाषा के 'सॉनेटो' शब्द से हुई जिसका अर्थ है "नन्ही सी संगीतमयी ध्वनि"। मध्य कालीन इटली में विकसित यह काव्य विधा मानवीय भावनाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति का उत्कृष्ट वाहक सिद्ध हुई है और अपनी अत्यंत लोकप्रियता के चलते शताब्दियों की यात्रा तय करते हुए संपूर्ण विश्व में फैल गई।
तेरहवीं शताब्दी में इटली में इस विधा का आविष्कार करते हुए गियाकोमो डा लेंटींनीं ने सिसिलियन भाषा में लिखा जिसे फ्रांसिस्को पेट्रार्क (1304-1374) द्वारा सफलता पूर्वक प्रयोग किये जाने के कारण पेट्रार्कन या क्लासिकल सॉनेट के नाम से जाना गया। वहीं कैपल लौफ्ट ने फ्रा गुइटोन डि अरेजो को काव्य साहित्य का कोलम्बस मानते हुए गुइटोनियन सॉनेट की लोकप्रियता का उल्लेख किया है। इटैलियन सॉनेट की परम्परा इंग्लैंड में चौदहवीं शताब्दी में राजनयिक कवि सर थामस वाट(1503-1542) और हैनरी हार्वर्ड अर्ल आफ सरे (1517-1547) के साथ तब प्रारंभ हुई जब "सोंग्स एंड सॉनेट्स बाय द राइट लार्ड आनरेबल लार्ड हैनरी हार्वर्ड लेट अर्ल आफ सरे एंड अदर "के नाम से सॉनेट पर पहली पुस्तक प्रकाशित हुई।

कालांतर में सोलहवीं शताब्दी में साम्राज्ञी एलिजाबेथ के उस सुनहरे कार्य काल के दौरान जिसमें गद्य व नाट्य विधायें सर्वाधिक लोकप्रिय हुईं, इंग्लिश सॉनेट, अंग्रेजी साहित्य के विश्वविख्यात महानतम नाटककार एवं कवि विलियम शेक्सपियर के सफल संरचनात्मक प्रयोग के कारण उनके नाम पर 'शेक्सपीरियन सॉनेट' के नाम से विख्यात हुआ ,इसी काल में एडमंड स्पेंसर, माइकल ड्राइटन व सिडनी डोबेल ने भी सॉनेट लिखे। यह विधा शेक्सपियर के पश्चात लगभग पचास वर्षों तक सुसुप्तावस्था में रहने के बाद नैतिकता वादी काल (प्यूरिटन एज) में सुप्रसिद्ध कवि जान मिल्टन द्वारा पुनर्जीवित की गयी जिसने इटैलियन सॉनेट की परम्परा को कुछ सीमा तक आगे बढाया तदअनंतर पुनर्स्थापना काल (रेस्टोरेशन पीरियड) में जान डन ने 'होली सॉनेट्स' शृंखला से अपना योगदान दिया ।

संरचना के आधार पर सॉनेट विधा के पांच प्रकार कहे गए हैं। इटालियन सॉनेट, इंग्लिश या शैक्सपीरियन सॉनेट, स्पेंन्सरियन सॉनेट, मिल्टोनिक सॉनेट एवं समकालीन सॉनेट। इन सभी की अपनी विशेषताएं हैं जिनका उल्लेख किसी अन्य लेख में करूँगा।

अठ्ठारहवीं शताब्दी में लगभग सौ वर्षों तक उपेक्षित रहने के बाद स्वच्छंदता वादी युग जिसे रोमांटिक एज के रूप में भी जाना जाता है जब काव्य विधा अपने स्वर्णिम काल में थी एवं साम्राज्ञी विक्टोरिया के काल में जब उपन्यास विधा भी लोकप्रियता के अपने शिखर पर थी, सोनेट विधा विलियम वर्ड्सवर्थ, जान कीट्स, एलिजाबेथ बैरेट ब्राउनिंग, दांतें गैब्रियल रोजेट्टी, हार्टले कालरिज, मैथ्यू अर्नाल्ड, थियोडोर वाट्स, एल्गरनान चार्ल्स स्विनबर्न, एलेक्जेंडर स्मिथ, अल्फ्रेड आस्टिन, क्रिस्टीना रजैट्टी, रिचर्ड वाटसन डिक्सन, मार्क एंड्रयू राफालोविच, विल्फ्रेड स्केवन ब्लंट, जान एडिंगटन साइमंड्स, विलियम फ्रीलेंड और आब्रे डी वेयर (जूनियर) जैसे महान कवियों के अभूतपूर्व योगदान से निरंतर समृद्ध हुई।

वर्ड्सवर्थ के सॉनेट में महानतम आंग्ल सॉनेट कवियों का शानदार कार्य निहित है। वाल्टर स्काट के शब्दों में "वह असाधारण प्रतिभा के धनी थे जो संक्षिप्तता, गरिमा, काव्य उत्साह व पारदर्शिता से अपने उच्च कोटि के विचारों को प्रस्तुत करते हैं। उनके सॉनेट वह दर्पण हैं जिनमें उनकी काव्य प्रकृति परिलक्षित होती है।

सॉनेट विधा में दांतें गैब्रियल रोसेट्टी की कल्पनाशीलता बेजोड़ है। उनमें विलियम शेक्सपियर की मौलिकता, एलिजाबेथ बैरेट ब्राउनिंग का मर्यादित सौंदर्य और विलियम वर्ड्सवर्थ की सूर्य प्रकाश से भरी पारदर्शिता का अद्भुत संमिश्रण है। संक्षेप में उन्नीसवीं शताब्दी में विभिन्न कवियों द्वारा सॉनेट विधा का सर्वाधिक सफलता पूर्वक प्रयोग किया गया।

बीसवीं शताब्दी के आधुनिक काल में शेक्सपियर का अनुकरण करते हुए मार्क आन्द्रे राफालोविच, ए. मेरी एफ रोबिंसन, राबर्ट लारेंस बिनयोन एडना विंसेंट मिल्ले क्लाड मैके और महानतम अमेरिकन कवियों में से एक राबर्ट फ्रास्ट ने सॉनेट विधा में काव्य सृजन कर ख्याति प्राप्त की । इक्कीसवीं शताब्दी के उत्तर आधुनिक काल में इवान मंटिक, वेंडी कोप और लोर्ना डेविस जैसे बहुसंख्य कवि इस विधा में निरंतर महत्वपूर्ण योगदान दे रहें हैं तो कुछ आधुनिक कवि परंपरागत संरचनाओं का प्रयोग न करते हुए समकालीन सॉनेट विधा का उपयोग कर रहे हैं जिनमें नियमों की बाध्यता नहीं है चाहे वह छंद विधान हो या तुकांत विधान।

भारत में भी सॉनेट की लोकप्रियता दीर्घकाल से रही है। हमारे देश में सॉनेट असमी, नेपाली, कश्मीरी, बंगाली, मराठी, भोजपुरी व हिन्दी आदि भाषाओं में लिखा गया है। त्रयोदश शताब्दी के इटालियन कवि पेट्रार्क के द्वारा विकसित यह काव्यिक प्रारूप, कालक्रमिक अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में आदृत तथा रूपांतरित होते हुए ओड़िआ कविता-वितान में उपगत होते समय, उन्नीसवीं शताब्दी का सप्तम दशक हो गया था। ओड़िआ भाषा में सर्वाधिक सॉनेट लिखे गए हैं।भोजपुरी में कृष्णानंद कृष्ण के 51सॉनेट 2011 में प्रकाशित हुए हैं।

हिन्दी साहित्य में काव्य विधा सॉनेट

भारत में बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में हिन्दी में सॉनेट का प्रयोग सर्वप्रथम त्रिलोचन शास्त्री ने किया। उन्होंने रोला छंद में पाँच सौ से अधिक सॉनेट लिखे। उनके पश्चात दीर्घकाल तक यह सुप्तावस्था में रहा। इक्कीसवीं शताब्दी में मैंने (प्रो. विनीत मोहन औदिच्य सागर, मध्य प्रदेश) व अनिमा दास कटक ओडिशा ने 2017 में स्वतंत्र रूप से सॉनेट लिखना प्रारंभ किया और विभिन्न साझा संग्रहों में यह सॉनेट वर्ष 2018 में प्रकाशित भी हुए। मेरे मौलिक 25 सॉनेट एकल संग्रह 'भाव स्रोतस्विनी' (2019) में व अनिमा दास जी के 30 सॉनेट 'काव्य पुष्पांजलि' (2019) में प्रकाशित हुए। तत्पश्चात अनिमा दास जी के 100 सॉनेट एकल संग्रह 'शिशिर के शतदल'(2021) व मेरे 115 सॉनेट एकल संग्रह 'सिक्त स्वरों के सॉनेट' (2022 ) में प्रकाशित हुए। इसके अतिरिक्त ब्लेक ईगल से प्रकाशित प्रतीची से प्राची पर्यंत सॉनेट संग्रह के प्रथम भाग प्रतीची में मेरे अंग्रेजी से हिन्दी में 46 आंग्ल कवियों के 69 सॉनेट व द्वितीय भाग प्राची में अनिमा दास जी का ओडिआ से 29 कवियों के हिन्दी में 59 अनूदित सॉनेट वर्ष 2020 में प्रकाशित हुए ।मेरे द्वारा नोबेल पुरस्कार विजेता कवि पाब्लो नेरुदा के 100 प्रेम सॉनेट का अनुवाद अनूदित कृति 'ओ प्रिया!!!' में वर्ष 2021 में किया गया साथ ही आंग्ल भाषा के विभिन्न देशों के 101 सॉनेटियर्स के 135 सॉनेट का हिन्दी अनुवाद 'काव्य कादंबिनी' में वर्ष 2022 किया गया । इस प्रकार से कहा जा सकता है कि हिन्दी मे काव्य विधा सॉनेट के विकास में त्रिलोचन शास्त्री जी के बाद इक्कीसवीं शताब्दी में प्रो. विनीत मोहन औदिच्य व श्रीमती अनिमा दास द्वारा मौलिक सृजन व अनुसृजन के माध्यम से महती व अविस्मरणीय योगदान दिया गया है। इन सॉनेट का भारतीय करण करते हुए लय व माधुर्य का विशेष ध्यान रखा गया है। अनिमा दास ने छंदमुक्त लयबद्ध 184 सॉनेट लिखे हैं वहीं मैंने छंदमुक्त व छंदबद्ध दोनों ही प्रकार के 375 सॉनेट का सृजन किया है। एक अनूदित तथा एक मौलिक सॉनेट संग्रह प्रकाशाधीन भी है।अद्यतन यह सॉनेट लेखन प्रक्रिया निरंतर जारी है जो भारतीय हिन्दी साहित्य की सॉनेट काव्य विधा के इतिहास में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी।
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