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सोचो थोड़ी देर / विजय गौड़
Kavita Kosh से
आख़िर कब तक
सरकारों का बदल जाना
मौसम के बदल जाने की तरह
नहीं रहेगा याद
कब तक यही कहते रहेगें
इस बार गर्मी बड़ी तीखी है
बारिश भी हुई इस बार ज़्यादा
और ठंड भी पड़ी पहले से अधिक