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सोच कर बोलता हूँ मैं सबसे / योगेन्द्र दत्त शर्मा
Kavita Kosh से
सोच कर बोलता हूँ मैं सबसे,
बात करने का अब मज़ा न रहा ।
हाय वो जुस्तजू, वो बेचैनी,
बीच का अब वो फ़ासला न रहा ।
अब चला है वो तोड़ने चुप्पी,
जब कोई उसपे मुद्दआ न रहा ।