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सोच / कविता गौड़
Kavita Kosh से
सोच
टूटे दरख़्त
टूटे घर
टूटे रिश्ते
बड़े होटल
बड़े काम्पलेकस
बड़े देश
बड़ी लालसा
बड़ी रिश्वत
बड़ी शत्रुता
बड़ा काण्ड
बडा स्वार्थ
बड़ा आतंकवाद
छोटी सोच
छोटा दाम
छोटे विचार
फिर भी आज का
आदमी महान