सोभित सिर सिखिपिच्छ, जो उज्ज्वल रस आधार।
बंदौं तिन के पद-कमल जुग सुचि भुवनाधार॥
महाभावरूपा परम बिमल प्रेम की खान।
बंदौं राधा-पद-कमल प्रियतम-सेव्य महान॥
सोभित सिर सिखिपिच्छ, जो उज्ज्वल रस आधार।
बंदौं तिन के पद-कमल जुग सुचि भुवनाधार॥
महाभावरूपा परम बिमल प्रेम की खान।
बंदौं राधा-पद-कमल प्रियतम-सेव्य महान॥