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सोलह आने तुम दोषी हो / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
सोलह आने तुम दोषी हो तो हम सत्रह आने।
जब हम ऐसे ग़लती मानें तो झगड़ा क्यों ठानें।
झगड़ा तो तब होता है जब
कभी अहम टकरायें।
तुम हमको दोषी ठहराओ
हम तुमको ठहरायें।
मगर अहम टकरायें क्यों जब दोनों लोग सयाने।
सोलह आने तुम दोषी हो तो हम सत्रह आने।
एक-दूसरे को आपस में
जब हम इतनी शह दें।
तुम भी अपने दिल की कह दो
हम भी तुमसे कह दें।
फिर हम दोनों किसी बात का बुरा कभी क्यों मानें।
सोलह आने तुम दोषी हो तो हम सत्रह आने।
दोनों अपनी ग़लती मानें
तो दोनों हैं सच्चे।
तुम कहते हो हमको अच्छा
हम कहते-तुम अच्छे।
अच्छे हैं तो क्यों ना अपनी अच्छाई पहचानें।
सोलह आने तुम दोषी हो तो हम सत्रह आने।