बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सो आज मेरे रामजू कौ तेलो चढ़त है।
तेलो चढ़त है फुलेल चढ़त है
सो आज मेरे रामजू कौ तेलो चढ़त है।
सोने कटोरा में तेलो भरायौ
सो हरदी मिला कै कैसो झलकत है।
सो आज मेरे रामजू को...
भाभी ने मिल तेल चढ़ायो,
सो नारिन मंगल गीत मढ़त है।
सो आज मेरे रामजू को...