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सो जा, राजदुलारी! / कन्हैयालाल मत्त
Kavita Kosh से
सो जा, मेरी बिटिया रानी,
सो जा, राजदुलारी!
सोया चंदा, सोए तारे,
नील गगन के पंछी सारे,
रंग-बिरंगी तितली सोई-
फूलों की फुलवारी।
सो जा, राजदुलारी!
नभ से उतरा उड़नखटोला
नींद-परी ने घूंघट खोला,
सपनों की शहजादी लाई-
जादू-भरी पिटारी।
सो जा, राजदुलारी!
मीठे-मीठे सपने आए,
अचक-पचक पलकों पर छाए,
मंद हवा के झोंके देते-
थपकी प्यारी-प्यारी।
सो जा, राजदुलारी!