भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सौख्य संत्रास का अश्रु का हास का / शिव ओम अम्बर
Kavita Kosh से
सौख्य संत्रास का अश्रु का हास का,
ज़िन्दगी जोड़ है तृप्ति का प्यास का।
कामना शान्त हो कर्म विक्रान्त हो,
है यही अर्थ गीतोक्त संन्यास का।
काव्य की कालिदासी कला से जुड़ा,
अपना इतिहास है व्यास का भास का।
है ग़ज़ल इसमें आलोड़िता जाह्नवी,
यह हृदय की कठौता है रैदास का।
पुत्र-पौत्रादि अवकाश में आये घर
लौट आया समय हर्ष-उल्लास का।