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स्कूल जाता बच्चा / परमेन्द्र सिंह
Kavita Kosh से
स्कूल
जा रहा है
बच्चा
कन्धे पर लदा है बस्ता
जिसमें भरी हैं
दर्जन भर किताबें
और पिता की आकांक्षाएँ
पिता
जो किसान की तरह
पकती फसल देखकर
सुखी-चिन्तित हैं।
स्कूल जा रहा है बच्चा
अपने गज़रे बचपन की स्मृतियों में
सख्त मनाही है बच्चे को
बचपना दिखाने की।
मगर कहीं भी
कभी भी वह
निकालेगा कापी या किताब कोई
फाड़ेगा पन्ना
बनाएगा जहाज
और उड़ा देगा
आकाश को लक्ष्य कर।