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स्त्री बारिश देख रही है / निर्मला गर्ग
Kavita Kosh से
सामने वाली खिड़की पर
चाय का कप लिए
एक स्त्री
बारिश देख रही है
उसका नाम शगुफ़्ता ख़ान है
बूँदों को
घास-मिटटी पर पड़ते देख
वैसे ही हलचल से भर रही है
शगुफ़्ता
भर रही हूँ जैसेकि मै
यानी निर्मला गर्ग
आडवानी जी व्याख्या करें
इस चमत्कार की
रचनाकाल : 1994