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स्नेह / जया आनंद

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स्नेह है
एक शुद्ध भाव
एक तरंग पर
तैरती दो नाव
कभी अधिकार
कभी कर्तव्य
कभी साहचर्य
कभी अपेक्षा
पर इन सबसे ऊपर
एक शुभ इच्छा
कि तुम जहाँ रहो
खुश रहो
दुख तुम्हें छुए भी नहीं
और कभी तुम्हारे हृदय की
अनगिनत स्मृतियों में
एक मेरा भी नाम हो!