स्पर्श से लिख दूं कहो 
संवेदना मनुहार की 
आत्मा की अर्चना 
और सत्यता संसार की 
स्पर्श से लिख दूं कहो …
शरण में आगोश की 
मदहोशियाँ जाती मचल 
प्रणय की वो प्यास लेकर 
नयन जब जाते है जल 
कर रही खामोशियाँ
उदघोषनाये  प्यार की 
स्पर्श से लिख दूं कहो …… 
उँगलियों में  प्रेम सिमटा 
आसमान पर कुछ लिखूं 
साँस लपटें बन के तन की 
तुम जलो मैं भी जलूं 
ख़त्म करदें राख होकर 
तपिश तन त्यौहार की 
स्पर्श से लिख दूं कहो....