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स्मिता के दोहे / स्मिता तिवारी बलिया
Kavita Kosh से
पीर मुझे ऐसी मिली, कैसे करूँ बखान।
आँखों में है नीर औ, होंठो पर मुस्कान।।
अहंकार को दूर कर, रखो नेह को पास ।
हृदय जीतने का सखे, मन्त्र बड़ा यह ख़ास।।
प्रेम खेल तो है नहीं, प्रेम एक विश्वास।
दूर-दूर होकर युगल, रहते हरपल पास।।
चार दिनों की जिन्दगी, करो न यूँ बर्बाद।
प्रेम, ज्ञान, सद्भाव से, होगी यह आबाद।।
कुछ भी मुश्किल है नहीं, जो मन मे लो ठान
पग चूमेगी सफलता, अर्जित होगा ज्ञान।।