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स्मृतियाँ- 13 / विजया सती

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तुमने भी देखा न
नीली जमीन पर सफेद फूलों-सा छाया आसमान,
कभी सँवलाया-बदराया आसमान,
डूबते सूरज की लाली में रँगा
और कभी भरी दोपहरी
बेतरह तमतमाया आसमान,
देर तक ठहर कर हवा में हाथ हिलाता
धब्बेदार आसमान - तुमने भी देखा न?
इतने रंग बदलता है आसमान - हम तो फिर इंसान हैं!