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स्मृति / वाल्झीना मोर्त / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
तुम्हारी याद —
जैसे भूसे में गिरी कोई सुई हो
जिसे कभी ढूँढ़ा नहीं जा सकता ।
लेकिन इस भूसाघर में
किसी अन्य पुरुष के साथ
लोटते-पोटते हुए
हर बार मैं डरती हूँ
उसकी सुई से !
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय