स्वप्निल शत प्रतिशत होते हैं,
कवि खुशबू के ख़त होते हैं।
उनसे भी होती है अर्चा,
अक्षर भी अक्षत होते हैं।
सुख के सौ-सौ युग क्षणभंगुर,
दुख के पल शाश्वत होते हैं।
विद्वज्जन उद्धत होते हों,
विद्यावन्त विनत होते हैं।
बनते उत्स महाकाव्यों के,
आँसू सारस्वत होते हैं।